अंकनीय क्षणिकाएँ
धर्मनिरपेक्षता की
डींग हाँकने वाले
राजनीतिक दल
जातिवाद के प्रति
कट्टर कईं बने रहते हैं !
एक दल में
नाम ‘राष्ट्रीय’ जुड़ा है,
किन्तु दो दशक बाद भी
‘राष्ट्रीय दल’
बनने की बात दूर;
ठीक ढंग से
राज्यस्तरीय दल भी
नहीं बन पाए हैं !
××××
स्कूल जुलाई से खुले
या कभी !
पढ़ाई की क्षति
ऑनलाइन ही
हो सकती है !
छात्र नहीं आए,
तो स्कूल खोलकर
बैठने के
क्या फायदे ?
तब शिक्षक बैठेंगे
और गप्पें करेंगे
और शिक्षिकाओं को
निहारेंगे ?
××××
आज की तारीख भी
2 जून की रोटी
नसीब नहीं !
इधर दोनों वक्त
सत्तू ही खा रहा हूँ,
आदत भी पड़ गई है !
हम राजा हो या रंक,
जिस चीज़ के लिए
रात-दिन
मेहनत करते हैं,
वह है ‘दो जून की रोटी’।
आज 2 जून है
और सबको रोटी
निश्चित ही मिले,
ऐसी कामना है!
××××
आवागमन आवाजाही से
भीड़ बढ़ेगी,
फिर भगदड़ मचेगी
और महामारी बढ़ेगी !
शारीरिक दूरी
अब भी जरूरी।
××××
नियोजित शिक्षकों को
बर्बाद करनेवाले,
इसे नौकर समझनेवाले
एक ‘आयातित’ नेता को
फिर मिला ‘मंत्री’ पद !
दुर्भाग्य या सौभाग्य !