प्रेम की चाहत, सबको रहती
प्रेम की चाहत, सबको रहती, नर हो, या फिर नारी है।
नर, नारी को, प्यारा है तो, नारी, नर को प्यारी है।।
इक-दूजे बिन, रह नहीं सकते।
वियोग व्यथा वे, सह नहीं सकते।
इक-दूजे हित, सब कुछ अर्पण,
प्रेम है, इतना, कह नहीं सकते।
कोई किसी से, नहीं बड़ा है, कोई न किसी पर भारी है।
नर, नारी को, प्यारा है तो, नारी, नर को प्यारी है।।
नारी बिन, घर, भूत का डेरा।
नारी ही बनाती, स्वर्ग बसेरा।
नारी से रंगत, रजनी की है,
नारी ही से, शुभ है सबेरा।
नर प्रेम में, नहीं है जीता, नारी, कभी, न हारी है।
नर, नारी को, प्यारा है तो, नारी, नर को प्यारी है।।
नारी ने नर को, नित है दुलारा।
नर ने है पल-पल उसे पुकारा।
माता, सुता, भगिनी के रूप में,
पत्नी ने भी, पथ है बुहारा।
नर देव है, देवी है नारी, देव-देवी की यारी है।
नर, नारी को, प्यारा है तो, नारी, नर को प्यारी है।।