मेरी ग़ज़ल
खूबसूरत हो गजल वो प्यार के अश्आर कर
लफ्ज़ की पाकीज़गी में पाक तू किरदार कर।
जिंदगी में आ गए, मेरी अचानक आप जो
इश्क़ की हर हद को’ कैसे देखिए यूँ पार कर ।
धड़कनों ने कह दिया हर बात उल्फत में सनम
है मुहब्बत आपसे इस बात का इजहार कर।
नाप ले अपनी तू चादर देखकर औकात भी ,
सोच थोड़ा गौर से खुद मत बड़ा परिवार कर।
गफ़लतो में पड़ गए गर भूल से इक बार जो,
जिंदगी हो जाएगी तेरी सज़ा ,धिक्कार कर।
देख शमशीरों की ताकत छोड़ मत ‘सीमा’ कलम
वक्त आने दे जरा फिर कलम को हथियार कर।
— सीमा शर्मा