कविता

वृक्ष

वृक्ष धरा पर देव समाना।
इन से जीवन का सुख पाना।
वृक्ष सदैव ही पूजे जाते।
मन वांछित फल इन से पाते।

जन्म मरण तक इन से नाता।
वृक्ष हैं जीवन के सुख दाता।
ऋतुएं वृक्ष से सज के आती।
जन जीवन खुशहाल बनाती।

वृक्ष प्रकृति की अनुपम माया।
मिलती इन से ठंडी छाया।
वृक्षों से जीवन है हमारा।
वृक्ष सदा सुखदुखःका सहारा।

पेड़ मत काटो मेरे भाई।
हैं यह जीवन में सुखदाई।
वृक्षों पर पक्षी नीड़ बनाते।
वनचर अपना आप छुपाते।

जन्मदिन यादगार बनाओ।
अपने हाथ से वृक्ष लगाओ।
वृक्ष लगा के पुन्य कमाओ।
अपनी धरा को खूब सजाओ।

— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995