वर्ण पिरामिड-भूख
हे
प्रभु
आग भी
अजीब है
भूखे पेट की
हिल जाता इसां
बेबसी से कराहे।
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ये
आग
बुझेगी
मन तभी
शांत ही होगा
कुछ कीजिए भी
आखिर जीना तो है।
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वो
भूख
सहता
कब तक
आखिरकार
दम तोड़ गया
जीवन हार गया।
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न
कभी
सताना
जो भूखा है
आह लगेगी
सह न पाओगे
श्राप लगेगा खुद