बाल कविता

बाल कविता – सुहानी सुबह

वल प्रात की नई किरण ने,
छटा विकट फहराई,
दूर हो गया तम तुरंत ही  ,
नई सुबह है आईं ।
नन्ही नन्ही चिड़ियां चहकीं,
और चहकते  बच्चे,
चींचीं करके दाना मांगे
सबको लगते  अच्छे।
फुदक फुदक कर प्यारी कोयल ,
मीठे स्वर में गाती ,
झट उठ जाओ प्यारी गुड़िया,
सही बात समझाती
कुल्ला मंजन करके गुड़िया
झट पट नाश्ता खा लो,
हम भी दाना मांग रहे है,
हमको भी तो डालो ।
— कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव

डॉ. कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव

पिता का नाम-श्री बनवारी लाल श्रीवास्तव शिक्षा -एमएससी ,बीएड, पीएचडी लेखन विधा- कैरियर आलेख ,बाल साहित्य सम्प्रति- शासकीय शिक्षक अन्य -स्तरीय पत्र पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन राव गंज कालपी ,जालौन उत्तर प्रदेश पिन 285204 मोबाइल नंबर945131813 ईमेल [email protected]