कलेजे के टुकड़े
एक तो देवर,
दूजे भौजाई!
आखिर कलेजे का
टुकड़ा हैं ‘देवर’!
भौजी के पति
ऐसा ही कहते हैं।
पर भौजी हैं इससे शॉक्ड,
पति मूर्खमंत्री ही रहे,
पर वे तो मुख्यमंत्री बनेगी!
आखिर उनके भी मुख्यमंत्री थे!
सोचनेवाले सोचते रहेंगे
कहनेवाले कहते रहेंगे
पर करनेवाले जो हैं
वो सोचते तो हैं,
कहते नहीं,
अपितु करते हैं
कि किसी ने
सच कहा है-
सिर्फ़ सोचने से
कहाँ मिलते हैं,
तमन्नाओं के शहर !
चलना भी जरूरी है,
मंजिल को पाने के लिए !