प्रेम गली में साथ चलेंगे
मिलना फिर शुरू करेंगे, कोरोना को गल जाने दो।
प्रेम गली में साथ चलेंगे, संकट यह टल जाने दो।।
माना संकट बहुत बड़ा, पर साहस भी है साथ खड़ा।
मानवता की सेवा हित, उर द्वार खुले हर हाथ बढ़ा ।।
मुसकायेगा नवल चंद्र फिर, सांझ तनिक ढल जाने दो।।
ईश्वर वेश बदलकर आया, पीड़ा दुख-दर्द बंटाने।
आशा के शत दीप जलाये, मन का तम पीर घटाने।
ठहर तनिक करो अर्चना, कल्मषता सब जल जाने दो।।
सुखमय जीवन की राह मिली, खुशियों की मृदु कली खिली।
द्वंद्व-द्वेष के काट आवरण, उर-आंगन शुभ धूप खिली।
पायल के स्वर में श्वास मिला, मन पंछी पल जाने दो।।
— प्रमोद दीक्षित मलय