योगी आदित्यनाथ “एक साहसिक नेतृत्व”
राजनीतिक विश्लेषक अक्सर यह कहते आये है कि देश की सत्ता उत्तरप्रदेश से होकर जाती है हो भी क्यों ना। 80 लोकसभा सांसद व 31 राज्यसभा सांसद देने वाला उत्तरप्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है। जिसकी बागडोर वर्तमान में एक प्रखर नेतृत्व करने वाले सन्यासी के हाथ मे है। परन्तु इससे इतनी राजनीतिक उथल पुथल क्यों ?
इसका विश्लेषण करेंगे तो जानेंगे कि पिछले 4 साल में उत्तरप्रदेश में अपराध की कमर तोड़ने का काम उत्तरप्रदेश पुलिस ने बखूबी किया है। समझिए पुलिस वही है, बस प्रदेश का नेतृत्व बदला है। एक समय तब था जब किसी आजम खां की भैंस गुम हो जाने पर कई थानों का बाप भैंसों को ढूंढने में लगा दिया जाता था, आज वे आजम खां छुपते फिर रहे है।
राजनीति के विरोधियों में डर इस बात का अधिक है कि उत्तरप्रदेश की जनता यदि योगी को पूर्ण बहुमत से बैठा देती है, जो कि निश्चित है, क्योंकि उत्तरप्रदेश के इतिहास में इतना अच्छा सुशासन जनता ने कभी देखा ही नही, हाँ कई सुधार अब भी आवश्यक है, वे होंगे। बस यही कारण है कि उत्तरप्रदेश में सभी राजनीतिक दल योगी को हराने के लिए उसी तरह एकजुट होंगे, जैसे मोदी को हटाने के लिए हुए थे।
क्योंकि वे जानते है योगी का उत्तरप्रदेश जितना मतलब देश की सत्ता में उनकी दावेदारी को बढ़ाना है, पूरे देश में योगी अपने सुशासन और लोकप्रियता में मुख्यमंत्रीयो में सबसे अव्वल है, उन्होंने 4 सालों में ही कई दुर्लभ कार्य सिद्ध किए है, लोकडाउन में ही उत्तरप्रदेश को 66000 करोड़ का निवेश मिले तो इसे योगी आदित्यनाथ का मैनेजमेंट ही कहेंगे, अपराधियों में खोफ और जनता में विश्वास के कारण निवेशकों का भी ध्यान उत्तरप्रदेश की ओर बढ़ा है। 2022 निर्णायक सिद्ध होगा। फिर से विपक्षी दल मुस्लिम कार्ड, जातिवाद आदि षड्यंत्र को हवा देंगे। परन्तु जनता को इसके प्रति जागरूक रहकर, योगी आदित्यनाथ के समर्थन में खड़े रहना चाहिए। क्योंकि उनसे अभी ओर अधिक अपेक्षा है माँ भारती को।
— मंगलेश सोनी