आरएसएस प्रसंग
धर्मेंद्र जी से कि दुनिया के सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन और बड़ी संख्या में राष्ट्रवादी पैदा करनेवाला कारखाना ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ के प्रधान मुख्यालय समेत शाखा कार्यालय में स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस जैसे अति महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय उत्सवों में ‘राष्ट्रध्वज’ नहीं फहराए जाते हैं ?
अगर यह जानकारी सच है, तो देश के लिए अपमान की बात है, जो घोर निंदनीय है । ‘भारत माता’ के साथ-साथ भारतीय संविधान और संविधान-सम्बंधित सभी आदर्शों के प्रति समान आदर के भाव होने ही चाहिए, अन्यथा लोग प्रेरक के प्रति प्रेरणा कैसे ग्रहण कर पाएंगे?
किसी को पत्नी के प्रति थोड़ी-सी भी शक शुरू हो जाय, तो प्रथमत: शक पर पट्टी हटाने का प्रयास करना चाहिए, अगर उनसे भी शक की गांठ खुले नहीं, तो जिंदगी लम्बी है, इसे देख निश्चितश: ‘तलाक’ ले लेना चाहिए। चूंकि धर्मेंद्र जी आपके अंदर आरएसएस के प्रति विद्वेष गांठ ले लिया है, जो लाइलाज है।
वैसे भी थोथियाने का कोई उत्तर हो नहीं सकता! मेरे विचार से सभी जवाब दिए जा चुके हैं। ….और आप बार-बार ऐसा कहकर हमें भी उकसाने का प्रयास कर रहे हैं । खासकर मैं आपके इस ज़िद्दीपन से अप्रसन्न हूँ । चाहे तो यहाँ तलाक ले सकते हैं !
आप धर्मेंद्र जी, यह बताइये, आपके मकान के ऊपर कितने 26 जनवरी और 15 अगस्त को ‘राष्ट्रध्वज’ का आरोहण हुआ है । आप अपना बताइये, संघ का संघ बताएंगे !
जहाँ तक अंधभक्ति की बात है, तो मैं अपने बाप का भी अंधभक्त नहीं हूँ और हाँ, देश की आजादी के दिन से ही हर राष्ट्रीय पर्व के अवसर पर मेरे घर के मुँडेर पर ध्वजारोहण होते आये हैं । मैं स्वतन्त्रता सेनानी परिवार से हूँ । ‘तलाक’ के बाद आपको इस प्रसंग पर कुछ कहना ही नहीं चाहिए था! सिर्फ खिसियानी बिल्ली खम्भा नोंचे, है न !
धर्मेंद्र जी! कोई ढोल पीटकर शादी करते हैं, तो कोई गुपचुप तरीके से गंधर्व प्रेम विवाह कर लेते हैं ! इतना तो तय है, स्वयं और परिवार को स्वच्छ रखकर ही हम दूसरे की स्वच्छता की बात कर सकते हैं ! है न !