विनम्र होना कठिन है
“साहस के अनुसार ही
ज़िन्दगी फैलती
और सिकुड़ती है !”
कितना अच्छा कह गए
भारतरत्न अब्दुल कलाम सर।
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जीवन में
सुख का आशय यह नहीं
कि हमने दुःख पर
विजय प्राप्त कर ली !
दुःख तो
किसी न किसी भाँति रहेंगे ही,
उनका सामना कीजिए !
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किसी ने सच कहा है-
पराजय को स्वीकारना
किसी अनुभव से कम नहीं !
‘लूजर’ ही आगे चलकर
‘विनर’ होते हैं….
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तेजतर्रार होने से
कहीं अधिक कठिनाई
‘नम्र’ होने में है !
हमें ज़िन्दगी में
कम से कम
दो विकल्प रखने चाहिए !