बनफूल की मनिहारी
बिहार के मनिहारी के कुछ हिस्से के जमींदार सत्तो बाबू के यहाँ डॉक्टर फूलो यानी फूलो बाबू यानी बलाई चंद मुखर्जी व बीसी मुखोपाध्याय का जन्म मनिहारी में उनके पुत्र के रुप में 19 जुलाई 1899 को हुआ था । डॉक्टरी की पढ़ाई पीएमसीएच, पटना से पूर्ण की, जो कि उस समय कलकत्ता विश्वविद्यालय के अभिन्न अंग थे ! सरकारी चिकित्सक के रूप में पोस्टिंग अज़ीमगंज, भागलपुर में पाई और कई बरस वहाँ बिताए ।
कभी इसी भागलपुर में ‘देवदास’ वाले शरतचंद्र का बचपन बीता था, शायद लेखन का चस्का इसी के सापेक्ष प्रतिबद्ध हुआ होगा, अतिशयोक्ति नहीं मानी जा सकती ! बांग्ला लेखक होने के नाते कालांतर में कोलकाता बस गए, किन्तु उनकी कहानियों और उपन्यासों, यथा- भुवन शोम, हाटे बज़ारे आदि पर राष्ट्रीय पुरस्कृत फिल्में, तो फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कृत फ़िल्म ‘अर्जुन पंडित’ काफी चर्चित रही, जो कि मनिहारी, साहिबगंज, भागलपुर की क्षेत्रीय कथाओं व घटनाओं से ही जुड़ी रहती थी । सर्च इंजन गूगल और उनके जन्मभूमि के होने के नाते मेरे अन्वेषण के अनुसार, बनफूल ने 600 से अधिक कहानियाँ, 60 से अधिक उपन्यास, 6 से अधिक नाटक तथा असंख्य व अलिपिबद्ध कविताएं तथा अन्य विधाओं में रचनाएँ सृजित की । किन्तु मैंने उनकी सिर्फ़ एक दर्जन ही मूल किताबें देखी हैं, शेष नहीं !
‘भुवन शोम’ का आंग्ल संस्करण मेरे पास अब भी है । मृत्यु (9 फरवरी 1979) से पूर्व ही उन्हें भारत सरकार की ओर ‘साहित्य एवं शिक्षा’ व बिहार कोटे से 1975 में ‘पद्म भूषण’ मिला, जो कि उस वर्ष पद्म अवार्ड की क्रम संख्या में 10वें नम्बर पर थे । उन्हें रवीन्द्र पुरस्कार और काज़ी नजरुल इस्लाम पुरस्कार भी प्राप्त है । सन 1999 में बनफूल की जन्म-शताब्दी थी और उस वक्त केंद्र में वाजपेयी सरकार थी, जिनमें ममता बनर्जी ‘रेल मंत्री’ थी ।
चूँकि बनफूल की कई रचनाएँ प. बंगाल सहित बांग्लादेश के कक्षा -पाठ्यक्रमों में चलती है, एतदर्थ ममता बनर्जी भी इनकी कहानियों व उपन्यासों की पाठिका रही और फिर बनफूल की जन्मभूमि -जिला कटिहार से सियालदह तक चलनेवाली ट्रेन का नामकरण उनके एक उपन्यास ‘हाटे बजारे’ के नाम से कर दी । मनिहारी के पुराने लोग ही उन्हें जान रहे हैं, ये पुराने लोग अपनी संतानों को बीच -बीच में अपने क्षेत्र के इस महान व्यक्तित्व और उनके कृतित्व के बारे में बताए करें, तो हम मनिहारीवासियों को अपना साहित्य और अपनी संस्कृति को समझने में जरा -सी भी कठिनाई नहीं होगी !