कविता

चिंता

एक मां ही है जो सब सह जाती है
उसको ही चिंता सबकी सताती है,
खो कर सुध वह अपनी सारा दिन
अपना प्यार अपनी फ़िक्र से जताती है।।

जब कुछ घर में घटित होता है
उसकी चिंता मां को ही सताती है,
रखती है सारा हिसाब किताब
एक मां घर को स्वर्ग बनाती है।।

अपनी छोटी-छोटी इच्छाओं को
एक मां कभी नही बतलाती है ,
खुद की कभी परवाह नहीं करती जो
मां की यही चिंता मां को मां बनाती है।।

आज जब मैं मां बनी हूं तब मुझे भी
मां की फ़िक्र बहुत सताती है
सोचती हूं एक मां बनकर ही
मां की चिंता समझ आती है।।

— प्रतिभा दुबे

प्रतिभा दुबे

(स्वतंत्र लेखिका) माता का नाम :– श्रीमती कमलेश शर्मा पिता का नाम:– स्वर्गीय श्री राजेंद्र प्रसाद शर्मा जन्मतिथि :– 13/08/83 जन्म स्थान :– ग्वालियर मध्य प्रदेश पता :–माधवगंज महाराज बड़ा मध्य प्रदेश ग्वालियर मोबाइल 8109159541 पिन कोड 474001 B.Sc. computer science (University) Gwalior PGDCA in computer science (KRG college) लेखन कार्य में अभिरुचि साथ ही सीखने की जिज्ञासा रखती हूं । प्रकाशन - सिद्धि कलश मासिक पत्रिका में प्रकाशन , हम हिन्दुस्तानी साप्ताहिक पत्रिका में प्रकाशन जारी, अंश केसरी , नव भारत , गुरुग्राम पत्रिका , poetry club , ‌Delhi women express, खबर वाहिनी, मुंबई अमरदीप , सबुरी टाइम्स ,असल न्यूज ,जनतंत्र गाथा देव दूत पत्रिका ,प्रोपर न्यूज , दैनिक भास्कर आदि सम्मानित प्रकाशन मैं प्रकाशित ।। सम्मान - साहित्य सिद्धि सम्मान , सामाजिक कार्यकर्ता , संरक्षक आदि सम्मान से सम्मानित।