दो मुक्तक
करो नित योग, योग भगाये रोग,
प्रकृति से तन-मन का नाता जुड़वाते योग ।
चित्त वृत्तियों को सत राह दिखाये-
गांव-गली, शहर-शहर अलख जगे योग ।।
मानव तेरे मिट जायेंगे सब भोग,
योग दिवस मनाओ मिल सब लोग ।
भारत फिर से विश्व गुरु बन जायेगा-
जीवन खुशहाल बनाता है योग ।।
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा