कविता

पिता

(पिता को समर्पित चंद पंक्तियाँ)

पिता एक आस है, अहसास है
जो दूर होकर भी रहता हरदम दिल के पास है।
पिता एक राग है, अनुराग है
शीतल नजर आता लेकिन सीने में स्नेह की आग है।
पिता ही मान है , सम्मान है
पिता से ही कायम रहता हरदम अभिमान है।
पिता जीवन की भोर है, उनके चरणों में ही ठौर है
नारियल की तरह अंदर से कोमल बाहर से कठोर है
पिता ममता का आँचल है , स्नेह भरा काजल है
जरूरत पर जो बरस जाए पिता वह बादल है।
— राजकुमार कांदू

*राजकुमार कांदु

मुंबई के नजदीक मेरी रिहाइश । लेखन मेरे अंतर्मन की फरमाइश ।

One thought on “पिता

  • रविन्दर सूदन

    आदरणीय राजकुमार जी, आप मेरे आदर्श हैं। आशा के अनुरूप आपने पिता के बारे बहुत ह्रदय स्पर्शी कविता लिखी है, जो मुझे बहुत अच्छी लगी। मेरी शायरी आप गूगल सर्च पर तीन शब्द ravindar sudan shayari लिखकर अवश्य पढ़ें। धन्यवाद।

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