मजनूँ का टीला
ये जो है
मजनूँ का टीला
एक जगह का नाम है,
किन्तु वहाँ लैलाओं के
सम्मान में
कोई स्मारक नहीं है !
आज एक मित्र ने
मुझे ऐसा ही बताया !
आज चाँद
इतनी उदास है क्यों ?
आसमाँ में
अकेली मुझे ही
निहार रही,
मुझे तो धरती पर की
कोई चाँद चाहिए !
प्रेम की सार्थकता,
प्रेम करते रहने में है;
प्रेम तो निभाने में
स्थित है,
पाने में इनकी रुचि
नहीं है !
ईश्वर से लड़नेवाले
नामवर जी आज भी
इनसे किसी दुआ की
अपेक्षा नहीं रखते!
वे अविराम लोचा हैं,
शीघ्र ही नीम अंधेरे से
बाहर निकल आएंगे !
पर आए नहीं।