परिन्दें का आसमाँ
परिंदें तो खुद के लिए
आसमां ढूढ़ ही लेते !
देश में ‘सच’ तो एक ही है,
जो वृद्ध
हो रहे हैं
और असहाय
महसूस कर रहे हैं !
सच कहती है
दुनिया,
इशक पर किसी का
जोर नहीं !
प्रकृति-पर्व हेतु
गंगा-नहाय लिए
कद्दू-भात शाकाहार के साथ
चार दिवसीय
महानुष्ठान शुरू
सादर नमन !
मेरा शाम रंग
ले ले,
अपना गोरा दे दे !