संदेह
संदेह के बादल
एक बार घिर आये,
तो सच मानिए कि
फिर कभी न छंट पाये,
मान लिया छंट भी गये तो भी
उसके अंश अपनी जगह
कभी अपनी जगह से
न हिल पाये।
संदेह ऐसा नासूर है
जो लाइलाज है यारों
जो भी इसका शिकार
हो गया एक बार
मरने के बाद ही
वह इससे मुक्त हो पाये।