अ-मुआफीनामे
मैं उस मित्र को
क्षमा नहीं कर सकता,
जो मेरे दुश्मनों से
गलबहियाँ लगाते हैं !
ऐसे मित्र
दुधारी तलवार
और खतरनाक होते हैं !
मैं दुश्मनों को
क्षमा कर सकता हूँ,
परंतु जो मित्र
‘दोस्ती’ की आर में
दुश्मन के साथ
उठ-बैठ करते हैं,
उन्हें क्षमा नहीं कर सकते !
कुम्हार-कृति लिए
ज्योति-पर्व में उनके घर
और दिल में जाकर भी
दीप जलाएँ,
जिनके घर और दिल में
अबतक किसी प्रकार के
रोशन नहीं हुए हैं….
तभी आपकी दीपावली
सफल और सुफल होगी !