लेख

हम जिंदगी में जल्दबाजी में “नहीं” और देरी से “हां” बोलने पर अनेक अवसर, चीजें और उपलब्धियां खो देते हैं

गोंदिया – पृथ्वी पर दो तरह के जीवों में सांसें चलती है। यह हम सब जानते हैं कि वह हैं पहला, मानव या मनुष्य और दूसरा, पशु, एनिमल या जिसके अनेक प्रकार हो सकते हैं। साथियों, हम आदि लोग से सुनते आ रहे हैं कि जीव योनि में 84 करोड़ योनियां है, जिसमें से एक है मनुष्य योनि और जुगां युगांतर आदि युग से ही हम सुनते आ रहे हैं कि मनुष्य की उत्पत्ति गुरिल्ला नामक जीव से हुई है, और मनुष्य को ऊपर वाले ने सोचने समझने की तार्किक बुद्धि दी है। इसलिए वह अन्य जीवों से एक सर्वश्रेष्ठ योनि जीव कहलाता है। हम अनेक अध्यात्मिक प्रवचन, जो हर धर्म जाति के लोग श्रावण करते हैं उसमें भी बताया जाता है ऐसा मेरा मानना है।…साथियों, बात अगर हम मनुष्य योनि की करें तो मेरा यह निजी मानना हैकि मनुष्य को हमेशा सोच समझकर बोलना और निर्णय लेना चाहिए। क्योंकि बिना सोचे समझे बोली गई कोई बात या लिया गया निर्णय,विपरीत परिस्थितियां उत्पन्न करने में जरा सी भी देर नहीं लगाती। क्योंकि जब तक हमें अपनी गलती का एहसास हो,तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। हमारे बड़े बुजुर्गों ने भी सच ही कहा है कि मुंह से निकली बात, आंखों से निकले आंसू, एवं बाण से निकला तीर, वापस नहीं आता। इसलिए जीवन में बहुतही सोच समझकर बोलना और निर्णय लेना, जीवन सुखमय करने के लिए अत्यंत आवश्यक है। प्रेम और विनम्रता पूर्वक बोलने पर सूखे वृक्ष में भी जीवन का संचार हो जाता है, अर्थात मनुष्य की वाणी ही उसे निर्धन और धनवान व्यक्तित्व बनाती है। उसका व्यक्तित्व निखरता है, उसका इस सृष्टि पर जन्मो जन्मो तक राज रहता है क्योंकि वह मनुष्य मृत्यु के बाद भी अपनी वाणी मधुरता के बल पर जीवित रहता है।…साथियों, बात अगर हम इस मनुष्य योनि के निर्णय से जुड़े दो शब्दों, नहीं, और एक शब्द हां, की करें तो यह बहुत ही छोटे दो और एक अक्षर से के शब्द हैं, लेकिन यह शब्द- हां- और शब्द- नहीं- के मुंह से निकलने पर हम अपनी जिंदगी की बहुत सी चीजें, अनेक अवसर, अनेक उपलब्धियां या तो खो सकते हैं, या पा सकते हैं। इसलिए इन दोनों शब्दों का प्रयोग बहुत ही सोच समझ कर करना हमारा लक्ष्य होना चाहिए। साथियों, हमारी जिंदगी में कई ऐसे मोड़ आते हैं, जब हमें कई प्रकार के जरूरी फैसले लेने होते हैं। ये ऐसे फैसले होते हैं जो या तो हमारी जिंदगी सँवार सकते हैं या हमेशा के लिए बिगाड़ सकते हैं इसलिए ऐसे वक्त हमें वर्तमान और भविष्य कोध्यान में रखकर हां या नही शब्दों का प्रयोग कर, सोच-समझकर ही कोई भी फैसला लेना चाहिए। साथियों,, हमारे जीवन में अनेक फैसले हमारे भविष्य से जुड़े होते हैं और हमारे भविष्य बिगाड़ भी सकते हैं और बना भी सकते हैं जैसे, शादी, बच्चे, कैरियर, व्यापार  व्यवसाय, रिश्तेदारी, नौकरी, निवेश आदि कई फैसले ऐसे होते हैं, जो हमें अकेले ही लेना पड़ते हैं। इनमें किसी की सलाह तो हमारे काम आ सकती है पर किसी का निर्णय पर निर्भरता हमारे लिए नुकसान देह हो सकती और फायदेमंद भी हो सकती है। साथियों, कई बार हमारे सामने स्थितियां ऐसी आती है कि हम हां या नहीं किसी और परिपेक्ष में सोचकर बोलते हैं, परंतु वास्तु स्थिति कुछ और होती है। साथियों,, हमारे बड़े बुजुर्गों ने कहा है कि कानों सुनी तो क्या आंखों देखी पर भी कुछ सोच समझकर निर्णय लेना चाहिए बिल्कुल सही!!! क्योंकि बहुत बार हम आंखों से कुछ देखकर कुछ अन्य परिपेक्ष में सोचते हैं, परंतु वह होता किसी और अन्य परिपेक्ष में है। बस!!! देखने की दृष्टि का फर्क होता है जो कोमलता, जल्दबाजी, धैर्य, क्रोध, से समाहित होसकता है साथियों,, क्रोध हमारा एक ऐसा शत्रु है, जो हमेशा हमारा काम बिगाड़ता है। कई बार दूसरों को नीचा दिखाने के लिए या लोगों की वाहवाही लूटने के लिए क्रोध में आकर हम कोई निर्णय, हां या नहीं तो ले लेते हैं परंतु ऐसे निर्णयों पर अक्सर हमें बाद में पछताना पड़ता है। ध्यान रखें कि जब तक हमारे व्यवहार में क्रोध का समावेश होगा, तब तक हम जीवन में कोई भी सही निर्णय नहीं कर पाएँगे। इसलिए क्रोध और जल्दबाजी को छोड़कर अपनी जवाबदारी और जिम्मेदारी को समझकर गंभीरता से हां या नहीं का निर्णय लेना ज्यादा फायदेमंद होगा। क्योंकि अपनी जिम्मेदारियों से जी-चुराना तो बहुत बड़ी मूर्खता होती है। जिम्मेदारियाँ व निर्णय जिंदगी में अपनी एक अहमियत रखते हैं तो क्यों न हम इनके लिए पहले से ही स्वयं को तैयार कर लें ताकि वक्त आने पर सही निर्णय लिया जा सके, जिससे जिंदगी बोझ न बनकर खुशियों का खज़ाना बन जाए और हमें अपने उस हां या नहीं के निर्णय लेनेपर गर्व महसूस हो। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम देखेंगे कि हम जिंदगी में जल्दबाजी में नहीं और देरी से हां बोलने पर अनेक अवसर, चीजें और उपलब्धियां खो देते हैं। तथा, नहीं और हां, दोनों बहुत छोटे शब्द हैं परंतु जीवन के सारथी हैं। सोच समझकर उपयोग करना, जीवन सुखमय बनाने के लिए बहुत जरूरी है।

*-संकलनकर्ता लेखक कर विशेषज्ञ- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र*

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया