छात्र आंदोलन के शिखर पुरुष
बिहार और गुजरात में छात्रों के आंदोलन को सम्पूर्ण भारत में प्रसरण करनेवाले जे.पी. ने और ही सिंहनाद कर इंदिरा-सत्ता की चूलें हिलाकर रख दिये! उस समय बिहार में जे.पी. का मार्च पास्ट पटना में आंदोलनरत थे और बिहार में कांग्रेस की सरकार थी । बिहार के एकमात्र मुस्लिम मुख्यमंत्री अब्दुल गफूर थे, उनके आदेश पर उनकी पुलिस ने आंदोलनरत जे.पी. पर लाठीचार्ज कर दिए । प्रसिद्ध चित्रकार श्री रघु राय ने पुलिस द्वारा लाठी से मार खाते ‘जे.पी.’ के चित्र को अपने कैमरे से खींचा है, जो ऐतिहासिक है । इसी पिटाई से धीरे-धीरे जे.पी. अस्वस्थ होते चले गए और अंततः मृत्यु को प्राप्त हुए ।
आजादी से पहले जे.पी. समाजवादी होते हुए भी क्रांतिकारी ‘स्वतन्त्रता सेनानी’ थे । हज़ारीबाग़ जेल से फरार, ‘आज़ाद दस्ता’ का गठन, नेपाल के जंगलों में विचरण इत्यादि भूमिकाओं से आबद्ध जे.पी. ने आज़ादी के बाद भी स्व-सत्ता के ‘डिक्टेटर’ के विरुद्ध भिड़ पड़े और इंदिरा गाँधी को सत्ताच्युत कर डाले ।
जनता पार्टी की सरकार होने पर सबकोई चाहते थे, वे देश के प्रधानमंत्री बने, किन्तु गाँधी की तरह उन्होंने भी सत्ता ठुकरा दिए! इतना ही नहीं, गाँधी जी की हत्या के लिए जब काँग्रेस ने आर. एस. एस. को दोषी ठहराने लगे, तो वे उस समय काँग्रेसी होने के बावजूद आर.एस.एस. को दोषमुक्त करते हुए कहा- ‘अगर आर.एस.एस. दोषी है, तो मैं भी दोषी हूँ । अगर भारत सरकार में हिम्मत है, तो वह मुझे भी गिरफ्तार करें और दण्डित करें ।’
‘सम्पूर्ण क्रांति’ आम-आदमी को प्राप्त हुई आधी-अधूरी आज़ादी को पूर्णरूपेण स्वायत्तता प्रदान करना था । जब ‘श्री अटल बिहारी वाजपेयी’ की सरकार केंद्र में आई, तब जे.पी. के व्यक्तित्व और कृतित्व पर उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से मरणोपरांत विभूषित किया गया । दादासाहब फ़ाल्के पुरस्कृत और पद्मविभूषण महानायक श्रीमान अमिताभ बच्चन के जन्मदिवस भी 11 अक्टूबर है ।