ईश्वर का प्रतिरूप धरा पर
मरीजो की करें सेवा समर्पित करके जीवन धन।
लड़े दिन रात रोगों से मनुज को दे रहे जीवन।
यही भगवान का प्रतिरूप जो भय रोग हरते हैं,
मनुज के रूप में में साक्षात दिखते हैं यही भगवन ।
*
मगर इस वेशभूषा में छिपे कुछ लोग ऐसे है।
कसम खाई भलाई हित शपथ वह भूल बैठे हैं ।
बना बैठे है जो व्यवसाय धन का छीनते श्वांसे ,
करे पेशे को गंदा आश का दीपक बुझाते हैं ।
*
चुना ईश्वर ने तुमको और दिया प्रतिरूप अपना है ।
बुझी श्वांसों को देकर आंच इसका मान रखना है।
चिकित्सक है सफल वह ही चिकित्सा सार्थक जिसकी,
समर्पित भाव तन मन से सभी दुख रोग हरना है ।
©®मंजूषा श्रीवास्तव”मृदुल”
💐💐💐💐💐💐💐💐💐