पीठ थपथपाना
‘मृत्युभोज’ की
कुप्रथा को
‘लॉकडाउन’ ने
लगभग समाप्त कर दी,
जरूरत है अब इसे
हमेशा के लिए
समाप्त कर दी जाय !
मैं पीठ पीछे
कनफुस्सी लिए
और फुसफुसाकर
‘मउगा’ की तरह
बात नहीं करता,
जैसा कि मेरे कुछ
मित्र करते हैं !
कोरोना कहर के कारण
इस साल
विस चुनाव नहीं हो,
अगर संवैधानिक
संकट आती है
तो ‘राष्ट्रपति शासन’ लगे !
कुछ ‘गांडू’ मित्र भी हैं,
जो उसे भी
‘हाँ’ कहते हैं,
मुझे भी ‘हाँ’ कहते !
उनकी बातों का भी
समर्थन करते
और मेरी भी
पीठ थपथपाते !
कोविड ने
एक काम अच्छा किया,
संसार के
सभी धार्मिक आडम्बरों को
घुटने टेकवा दिए ?
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