जिंदगी एक अनबुझ कहानी तो है
जिंदगी एक अनबुझ कहानी तो है ,
कोई समझे या ना नही समझे तो ,
जन्म और मृत्यु की ये कहानी तो है ,
कोई पागल यही नही समझे तो ,
प्यार की ये अनबुझ कहानी तो है ,
कोई मानें या ना नही मानें तो ,
बचपन, जवानी , बुढ़ापे तो है ,
कोई जाने या ना नही जाने तो ,
खेल, पढ़ाई और जॉब की रवानी तो है ,
कोई निभाये या ना निभाये तो है ,
प्यार और धोखा की ये रुबानी तो है ,
कोई विश्वास करे या ना नही करे तो ,
गाँव, शहर और नगरों का ये अंतर नही ,
अपनी जीवनशैली बदलने से क्या फायदा ,
गीत, गजल और कविता मे वो बात नही ,
जो अध्यात्मिक भजनों मे मिलती हमें ,
मनुष्य , जीव-जंतु और पेड़-पौधे एक ही है ,
फिर सबको मसलने से क्या फायदा ,
जाति धर्म, रंग-भेद और खान-पान से मतलब नही ,
फिर सबसे दुश्मनी करने से क्या फायदा ,
हिंदू, मुस्लिम , सिख, ईसाई सबका खून एक ही है ,
फिर आपस मे लड़ने से क्या फायदा ,
देश दुनिया सभी एक ही ईश्वर की देन है ,
फिर देश दुनिया मे फर्क करने से क्या फायदा ,
राम, रहीम, यीशु मसीह और गुरुनानक मे अंतर नही ,
फिर आपस मे झगड़ने से क्या फायदा ,
जिंदगी और मौत मे कोई अंतर नही ,
फिर सुख मे खुशी और दुख मे रोने का क्या फायदा ,
बेटी और बेटों मे कोई अंतर नही ,
फिर बेटियों से नफरत करने से क्या फायदा ,
फुल और कलियों मे कोई अंतर नही ,
फिर कलियों को तोड़ने से क्या फायदा !
✍🏻रुपेश कुमार