कविता

शहीद सैनिक का दर्द

 नैनों में देखकर आँसू नीले अंबर में खो गए
 आघात सहकर हमेशा के लिए  नींद में फिर सो गए
 लड़ते रहे वो अंतिम साँस तक सीमा पर
 खुद को कुर्बान कर देश को आजाद कर गए!!
 बेटे की शहादत को जिसने देखा होगा
 उस माँ के सीने में फिर शोला दहका  होगा
 झकझोर रही तेरी यादें हर पल, जब
 बहन राखी लिए निराश और पत्नी के मेहंदी का रंग न छूटा होगा!!
 पिता दिन-रात अश्रु  से आँख भिगोया  होगा
 जिसने अपने बेटे को पुलवामा में खोया होगा
 तेजस्वी,नौजवान,पुरुषार्थी वह वीर सपूत
 तब एक फौजी तिरंगे से लिपट कर फूट-फूट कर रोया होगा!!
 जिस दिन तू शहीद हुआ,
 ना जाने तेरी माँ , यह देश कैसे सोया होगा
 मैं तो बस इतना ही जानती  हूँ
 तेरे सीने में वह गोली उतरने से पहले रोया होगा!!
 मैं अभी भी मानती हूँ कि तू मेरे आस-पास है
 लौट आओ अब याद तुम्हारी आती है
 कहाँ  खो गए तुम मेरे लाल
 बार-बार राह देखती, माँ दिल से आवाज लगाती है!!
 जब तू छोड़ गया यह  देश कितना रोया होगा
 दर्द होता है जब खोकर पाया,अब पाकर जब खो गया होगा
 हे!वीर सपूत तेरा यह बलिदान व्यर्थ ना जाएगा
 इस राष्ट्र के लिए सदा तू अमर ही रह जाएगा
 अमर ही रह जाएगा………!!
— राज कुमारी

राज कुमारी

गोड्डा, झारखण्ड