कविता

भाग्य विधाता

तू जब चले उस राह पर
जहां न हो कोई संगी साथी
न घबरा—न भयभीत हो
अगर होगी लग्न सच्ची
कारवां चलेगा साथ तुम्हारे
सफलता की परवाह न कर
सफलता तेरी राहवर होगी।
आए कोई बाधा राह में
हौसला न हार कभी
नाकामी न रोक सके राह तेरी
न डिगे विश्वास तेरा
अपने हौसले से
दूर कर ले हर विध्नबाधा
क्या हुआ जो साथ न दे कोई
तेरा हिम्मत और साहस है संग तेरे
इसके सहारे पार कर ले
मुश्किलों के पर्वत
     और
बन जा अपना भाग्य विधाता!!
— विभा कुमारी “नीरजा” 

*विभा कुमारी 'नीरजा'

शिक्षा-हिन्दी में एम ए रुचि-पेन्टिग एवम् पाक-कला वतर्मान निवास-#४७६सेक्टर १५a नोएडा U.P