भेद भाव
वोट से लेकर नौकरशाह तक जातिय समिकरण में फंसे हैं सभी कहने को समान है सभी बस दिखावे का है
Read Moreआराम भी क्या कमाल की चीज़ है सुकून से रहना भी बेमिसाल चीज़ है! सर्द सर्दियों के स्याह रातों में
Read Moreसर्द सर्दियों की रातों में रजाई में दुबकना अच्छा लगा हैं वो तेरा अपनी बाहों में मुझे समेटना अच्छा लगता
Read Moreआस का पंछी है छलिया जो रह-रह छल जाता है नभ में कहीं नजर नहीं आता फिर भी होता है
Read Moreउनसे मिलने लगे जब अपने रास्ते उसने अपना आशियां बदल लिया । गिला जब किया अपने आंसुओं का उसने दामन
Read More