आस का पंछी
आस का पंछी है छलिया जो रह-रह छल जाता है नभ में कहीं नजर नहीं आता फिर भी होता है
Read Moreआस का पंछी है छलिया जो रह-रह छल जाता है नभ में कहीं नजर नहीं आता फिर भी होता है
Read Moreउनसे मिलने लगे जब अपने रास्ते उसने अपना आशियां बदल लिया । गिला जब किया अपने आंसुओं का उसने दामन
Read Moreमेरे आंगन में बरसने वाली बरसाते अब कहीं और बरसती है मेरे हिस्से की शबनम अब किसी और को भिगोती
Read Moreशाम की यह बेला कुछ सुर्ख हो चली दरख्तों की शाखाओं में कुछ सरसराहट सी हुई परिंदों की कतारों ने
Read Moreजिंदगी रोज डरातीं है हमें जब भी मौका मिले धोखा दे जाती है हमें मौत का क्या है? वह हमेशा
Read Moreबिखरे तो गई हूं फूलों के मानिंद तेरे दामन में अब समेटना न समेटना ,है..तुम्हारा हाथों में बड़ी देर से
Read Moreआज घर की दहलीज छोड़ते हुए सुमित्रा की आंखें मानो पथरा गई है। आंखों से उसके आंसू का एक कतरा
Read Moreआडम्बर में है अम्बर कई पाखण्ड ने किए खण्ड कई इन दोनों के पाटन में पीस गई है मानवता कई
Read More