कफन बाँध गीत आजादी के गुनगुनाते रहेंगे।
भारत मां के लिए जवान, जान लुटाते रहेगे।
ख़ौफ नाम की चीज दिल में उन के थी नहीं।
मरने से डरने की नियत उन की थी नहीं।
जान हथेली लिए सिर कफन बाँध चल पड़े।
फिरंगियों के आगे निर्भिक जवान जा अड़े।
कट मरे वीर अनेक जय भारत मां बोल के।
मरते मरते भी रहे खून जिस्म के खौलते।
मां के लाल मेले शहादत के लगाते ही रहेंगे।
कफन बाँध गीत आजादी के गुनगुनाते रहेंगे।
मां की पावन भू पर फूल खिले भांत भांत के।
देश के लिए कुर्वान होनें चले वीर हर प्राँत से।
सिख हिंदु मुस्लिम ईसाई भेद सब ही भूल के।
हंसते हंसते मिट गए फांसी के फंदे झूल के।
आजादी के लिए नारी का होसला बुलंद था।
देश के लिए मरमिटने का चढ़ा जनूनी रंग था।
भारत मां के सपूत चूम फांसियाँ सजाते रहेगे।
कफन बाँध गीत आजादी के गुनगुनाते रहेंगे।
नमन माताओं को सूनी गोद जिन की हो गई।
नमन बहनें बिधवाएं जवानी जिन की खो गई।
नमन जवानी शहीद की नाम वतन के हो गई।
देश के लिए मिटनें की अदा जवानों में हो गई।
स्वतंत्रता दिवस पर याद शहीदों की सता रही।
देश पर मर मिटने की अदा जवानों में आ रही।
दुश्मन को राह अमन की सदा दिखाते रहेंगे।
कफन बाँध गीत आजादी के गुनगुना रहेंगे।
— शिव सन्याल