नारी सौंदर्य
नारी के सौंदर्य को
नजर और नजरिए से
देखने भर से पता चलता है।
किसी को रंग रुप
तो किसी को रहन सहन
अच्छा लगता है,
तो किसी को उसके वस्त्रों में
उसका सौंदर्य झलकता है।
कोई चाल ढाल में
सौंदर्य देखता है,
तो किसी को उसके चरित्र में
समूचा सौंदर्य परिभाषित होता है।
कोई सौंदर्य को
संस्कृति, सभ्यता से आँकता है।
अफसोस ही तो है
कि हमें नारी के
सौंदर्य विश्लेषण का
जैसे सर्वाधिकार मिला है।
पर कितने हैं जो नारी में
माँ बहन बेटी का सौंदर्य निहारते हैं,
त्याग, शील, दया, ममता, करुणा
प्यार, दुलार और समर्पण के साथ
वो सिर्फ नारी है के भाव का
सौंदर्य भला समझ पाते हैं,
नारी से ही संसार और
संसार का सौंदर्य है,
ये भाव कहाँ समझ पाते।