बादल राजा
ओ मस्ताने बादल राजा
इक बारी ठुमक-ठुमक आजा
सूरज का ताप जलाता है
ठंडी बोछारें ले आ जा
जलती धरतीजलते उपवन
कुम्हलायी है हर कली कली
मौसम में कितनी उमस भरी
सूनी -सूनी हर गली – गली
बारिश की कुछ बोछारों से
माटी की ख़ुशबू महका जा
सूरज का ताप जलाता है
ठंडी बोछारें ले आ जा
जो आ जाओगे इक बारी
तन -मन सबके खिल जायेंगे
खेतों में मोर पपीहे भी
फिर झूम -झूम कर गायेंगे
अम्बर में लेकर इंद्रधनुष
दीवानी घटा सजा आ जा
सूरज का ताप जलाता है
ठंडी बोछारें ले आ जा
ओ मस्तानेबादल राजा
इक बारी ठुमक ठुमक आ जा…
— अनामिका लेखिका