गीत/नवगीत

बादल राजा

ओ मस्ताने बादल राजा
इक बारी ठुमक-ठुमक आजा
सूरज   का  ताप  जलाता   है
ठंडी बोछारें ले आ जा
जलती धरतीजलते  उपवन
कुम्हलायी है हर कली कली
मौसम  में  कितनी  उमस  भरी
सूनी -सूनी   हर   गली – गली
बारिश  की   कुछ  बोछारों  से
माटी  की ख़ुशबू महका जा
सूरज का  ताप  जलाता  है
ठंडी बोछारें ले आ  जा
जो  आ   जाओगे   इक  बारी
तन -मन सबके खिल  जायेंगे
खेतों में मोर पपीहे  भी
फिर   झूम -झूम  कर  गायेंगे
अम्बर  में   लेकर इंद्रधनुष
दीवानी घटा सजा आ  जा
सूरज का  ताप  जलाता है
ठंडी बोछारें ले आ जा
ओ मस्तानेबादल राजा
इक बारी ठुमक ठुमक आ जा…
— अनामिका लेखिका

अनामिका लेखिका

जन्मतिथि - 19/12/81, शिक्षा - हिंदी से स्नातक, निवास स्थान - जिला बुलंदशहर ( उत्तर प्रदेश), लेखन विधा - कविता, गीत, लेख, साहित्यिक यात्रा - नवोदित रचनाकार, प्रकाशित - युग जागरण,चॉइस टाइम आदि दैनिक पत्रो में प्रकाशित अनेक कविताएं, और लॉक डाउन से संबंधित लेख, और नवतरंग और शालिनी ऑनलाइन पत्रिका में प्रकाशित कविताएं। अपनी ही कविताओं का नियमित काव्यपाठ अपने यूटयूब चैनल अनामिका के सुर पर।, ईमेल - anamikalekhika@gmail.com