राजनीति

अटपटे अफ़साने

श्री राहुल गांधी ही नहीं, आज़ादी से पहले लॉर्ड डफरिन ने भी कहा था- “काँग्रेस सिर्फ़ अल्पसंख्यक का प्रतिनिधित्व करती है ।” सिर्फ़ श्री नरेंद्र मोदी ही नहीं, आज़ादी से पहले लॉर्ड कर्ज़न ने कहा था- “कांग्रेस अपने पतन की ओर लड़खड़ाती हुई बढ़ती चली जा रही है ।”

देश के राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ के गीतकार बंकिम चंद्र चटर्जी ने कहा था- “काँग्रेस के लोग पदों के भूखे हैं ।” तो योगी अरबिंदो घोष ने कहा था– “काँग्रेस क्षय रोग से मरने ही वाली है।”

आज़ादी से पहले भी काँग्रेस वहीं पड़ी थी, जहाँ आज खड़ी है । गाँधी जी ने  ठीक ही कहा था- “अब देश आजाद हो गया है, काँग्रेस को भंग व खत्म कर देना चाहिए ।” अपने दादाजी को कभी नहीं देखा, मेरी दादी के पैर छूते हुए । पिताजी को भी नहीं देखा है, माँ के चरणस्पर्श करते हुए, जबकि दादी को दादा के और माँ को पिता के चरणस्पर्श करते देखते आया हूँ।

कहने को दादी, दादा की और माँ, पिता की अर्द्धांगिनी हैं । इतना ही नहीं, दोनों यानी पति-पत्नी एक-दूजे के लिए बने होते हैं ! यह सिर्फ़ कहने भर को मर्दवादी सोच है।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.