सिर्फ रिंग पहना दो
यह ‘रिंग सेरिमनी’
क्या चीज होती है ?
एक युवक ने
दूसरे युवक को
रिंग पहना दिया,
दूसरे ने भी
पहले को
पहना दिया,
तो क्या
दोनों एकलिंगी
एक-दूसरे के लिए
बुक हो गए
या फिक्स्ड हो गए !
ज़िन्दगी सिर्फ
‘रिंग’ पहनाने से ही
तय नहीं होती !
ऐसा दिखावा
‘बनावटीपन’ के सिवाय
और कुछ नहीं है,
ऐसी छद्मता
और अपव्यय से बचिए !