हंसती आंखें श्रमिक ख़ुशी दे जाती है
हंसती आंखें श्रमिक ख़ुशी दे जाती है
जीवन की सब कमियाँ टल जाती है।
चाह ! मेहनतकश हाथों की निशानी है,
कठोर हाथों ने श्रम उंगली थामी है।
पसीने में प्यार करना सज़ा मानी है
हंसती आंखें श्रमिक ख़ुशी दे जाती है।।
जीवन की सब कमियाँ टल जाती है।।
जब पेट की भूख को होता झेलना
काम को कितनी मिन्नते से मांगना
अकेले सी पत्नी आहें भरते सी खोई
उस बिन घर बैठे पागल सा मानना
साथ हाथ बटाया संग मुस्काती है
हंसती आंखें श्रमिक ख़ुशी दे जाती है।।
जीवन की सब कमियाँ टल जाती है ।।
ये वास्ता निगाहों में नाम है तुम्हारा
आँखों में बैठाया था तुम्हारा नज़ारा
सुवह शाम होती साथी बस कमाने में
जीती हूँ माना तेरा साथ निभाने में
साथ ही आरजू हो हाथ में है मान
पसीने में प्यार करना सज़ा मानी है
हंसती आंखें श्रमिक ख़ुशी दे जाती है
मजदूर की पीड़ा को कोई कैसे समझा !
एक छत चाहत हजारों छत लानी है !!
मेहनतकशी जीवन ख़ुशी तब आती है
दूसरों के सपनों में अपना सा पाती है
पलकें ख़ुशी पा निहारती दुलारती है
हंसती आंखें श्रमिक ख़ुशी दे जाती है
जीवन की सब कमियाँ टल जाती है।
— रेखा मोहन