/ बदलें अपनी सोच /
जाति नहीं
संघ बनो
संगठित करो उनको
जो दीन – दुःखित, पीड़ित हैं
साथ लेकर आगे बढ़ो
दबे – कुचले हैं जो
अत्याचार, अन्याय के पाखंड़ का
शिकार बने हुए हैं
अमानवीय व्यवहारों से वंचित,
उलझनों में दिशाहीन हैं
जहाँ भी हो
जिस प्रांत व जाति का हो
आदर पूर्वक आह्वान करें
संघ का सहगामी बना दें
समता स्थापित करें उनमें
चेतना मिले उनको
व्यथा, पीड़ा से मुक्ति मिले
साधना के सत्पथ पर
हर मन को शांति मिले
धम्म से सबका पुनरूत्थान हो
जगह – जगह विहार, मंटप
समता स्थल स्थापित हो जायें
जाति के संकुचित भावजाल को पारकर
बुद्ध, अशोक, कनिष्क जैसे
जन नायक उभरकर आयें
समरसता स्थापित करें
सत्य, अहिंसा, वैज्ञानिक चिंतन
हर इंसान का हो,
हर जगह इंसान का जन्म हो
स्वार्थ से मुक्त, भ्रष्टाचारों से दूर हों
सद्वृत्तियों का महक
हर जगह स्वच्छ हवा का सांस
हर इंसान का हो
जाति नहीं
मानवीय धम्म बनो
संगठित अवस्था में जियो, जीने दो।