जज़्बात
बहते आंसुओं का
आंखों से निकल
गालों तक चले आना
कुछ और नहीं
जज़्बात हैं यह
जब शब्दों से नहीं व्यक्त हो सके
तो आंसू बन
पिघल कर
झर गए
गालों पर
और कह गए
सारी अपनी वेदना
*ब्रजेश*
बहते आंसुओं का
आंखों से निकल
गालों तक चले आना
कुछ और नहीं
जज़्बात हैं यह
जब शब्दों से नहीं व्यक्त हो सके
तो आंसू बन
पिघल कर
झर गए
गालों पर
और कह गए
सारी अपनी वेदना
*ब्रजेश*