ग़ज़ल
मौत से आँखें मिलाकर देखिए
ज़िंदगी को फिर हँसाकर देखिए
हो ही जायेगा कोई अपना यहाँ
प्यार तो सब पर लुटाकर देखिए
आँसुओं से क्यों है तर ये ज़िंदगी
इश्क़ में अब गुनगुनाकर देखिए ।
ढूँढते हो चाँद को क्यों हर जगह
मुख से ये परदा हटाकर देखिए ।
फैल जाएगी खुशी अब हर जगह
हाथ में मेहँदी रचाकर देखिए ।
हाल ए दिल कहकर न अपना दिल दुखा
गैरों के भी ग़म मिटाकर देखिए ।
आ गए वो आँख में आँसू लिए
सामने अब मुस्कुराकर देखिए ।
नफ़रतों की आग में हम क्यों जलें
प्रेम का दीपक जलाकर देखिए ।
याद में उनके क्यों तड़पें हम सदा
बात उनकी सब भुलाकर देखिए।