गुलजार के गीत
12 घंटे से बिजली गायब कि सुबह से बिजली गायब है, माँ ने संझा-बत्ती दे दी है, अभी भी बिजली नदारद है ! दिनभर तार बदलने के चक्कर में न हवा मिल रही है, न प्रकाश मिल रही है !
मोटर नही चला, तो पानी नहीं मिल रही है । बारिश के कारण सड़क पर कीचड़ ही कीचड़ । स्ट्रीट-लाइट नहीं जल रही है और लोग बारिश से जमे पानी में व कीचड़ में.. अंधेरा के कारण इनमें गिर जाते छपाछप ! कोई नाला नहीं बन पाया है, तो इधर..
कंटोल (जनवितरण प्रणाली की दुकान) में किरासन (मिट्टी तेल) है गायब….. जब दुकानदार ही हो जाय ‘नेता’, तब सब माल अपन बाप के गोदाम का ! इस काम में चट्टी-बट्टी सब मिले हैं ! ऐसे में गुरु महाराज की याद आती है ! पर गुरु महाराज भी क्या करे, वे चट्टन-बट्टन भी तो उनके रसिकदार हैं।
सरकार कोई भी हो, वो तो सरकार है, उनके पास बाप का माल है और सभी उनके बाप का साला है, ऐसे में ए. आर. रहमान याद आ जाते हैं, यह कहने को कि ‘जय हो’ !
….और गुलजार के गीत हैं, इसे संगीतबद्ध किये हैं ए. आर. रहमान ने, जिसे फ़िल्म ‘स्लमडॉग मिलिनियर’ में सजाया गया है और पसंद करने वाले आप सब हैं यानी खच्चरटोली से श्रीमान खच्चर जी, बेवफ़ाई टोले से श्रीमती सनम बेवफ़ा, मोदाई नगर से हैं अठन्नी कुमार चवनियाछाप.. तो सुनिए, आपके पसंदीदा गाना.. जय हो, जय हो.. भय हो.. क्षय हो.. इसी के साथ मनभावन कार्यक्रम समाप्त होता है, प्यार कुमार करेले को दीजिए इज़ाज़त ! नमस्कार ।