जस्टिस फ़ॉर राखियाँ
‘राखी’ माँग रही इंसाफ यानी रक्षा-बंधन की नए कलेवर लिए शुभकामनाएं.. वैसे सोशल मीडिया में अनेक मुहिम चल रही हैं, किन्तु पिछले दिनों से एक ऐसी अभियान ने मुझे बाँधे रखा, जो यहाँ मैं प्रस्तुत कर रहा हूँ, यह मुझे सामाजिक अभियानों में न केवल सुंदरतम अभियान लगा, अपितु सामयिक मुहिम में सर्वोत्तम है यह अभियान-
#justice4राखियाँ
इस अभियान के अंतर्गत भाई ही बहनों की कलाइयों पर ‘रक्षा-सूत्र’ यानी राखी व रक्षा-बंधन बाँधते हैं । इस अभियान के अभियंता 10 वर्षों से न केवल सहोदर बहनों को, अपितु धर्म बहनों को रक्षा-सूत्र बाँधते आ रहे हैं।
मैं भी पिछले कई वर्षों से ऐसा ही करते आ रहा हूँ, पहले तो आस-पड़ोस वाले को भी यह अजीब लगता था, किन्तु अब सब ठीक है ।
मैं सहमत हूँ, इस अभियान के विचारसंवाहक से।
कोई बहन रक्षा करने के लिए भाइयों से क्यों आग्रह करे, यह तो भाइयों के दायित्व हैं, वे ही इस संबंध में पहल करें ….. बिल्कुल ही यह अभियान काबिल-ए-तारीफ है।
जिन बहनों के सहोदर भाई नहीं हैं, ऐसी बहनों के लिए धर्म भाइयों को आगे आने ही होंगे। हम भाइयों को परंपरा तोड़ ऐसे अभियान को प्रोत्साहित करने चाहिए ।
शुक्रिया #justice4rakhiyan