मिट्टी का घर
इधर बारिश ऐसी रसीली और नशीली होती जा रही कि मिट्टी का घर का एक कोना ढह गया ! टीन का घर भी चूता है, जहाँ-जहाँ चूता है, माँ उसके नीचे बर्त्तन रखते जाती । कल की बात है, खाना बन चुकी थी और बारिश शुरू हो गई ।
माँ ने एक-एक कर सभी बर्त्तन चूने वाली जगह पर रख चुकी थी । अब खाये भी तो कैसे खाएं ? थाली, ग्लास और लोटा तक चूनेवाली जगह पर थी ! बारिश 11 बजे रात में बंद हुई, तब कहीं खाना खाया ।
इधर मेरी तकलीफ से दूसरे को क्यों तकलीफ होवे ? विद्यालय पहुँचते ही 500 रुपये का डिमांड किया गया कि सुप्रीम कोर्ट में एक वकील सिर्फ उपस्थिति का 33 लाख लेते हैं !
अभी बहस बाकी है ! इसलिए नियोजित शिक्षकों को और भी चंदे देने होंगे ! एकतरफ 33 लाख का वकील, दूसरी तरफ चूता घर ! किसे चुनूँ ? कोई बताएंगे ! इसपर कवयित्री विश्वफूल ने कविता रची है-
“कि ये ‘कंटोलवाले’
किरासन क्यों पी जाते हैं ?
जिसके कारण
बारिश में
अँधेरा कायम है !
बिजली नहीं है.
बारिश रसीली
और नशीली हो गयी है,
मिट्टी का घर गिर गया.
टीन का घर भी चूता है.
जहाँ-जहाँ चूता है,
माँ उसके नीचे
बर्त्तन रखती जाती !”