मन में रीत-प्रीत
पंजाब के एक केंद्रीय विश्वविद्यालय में एक उच्च पद पर कार्यरत श्री सदानंद चौधरी; जो हिंदी और अंग्रेजी के अच्छे विश्लेषक हैं- के हाथों पुस्तकद्वय- पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद (शोध) और लव इन डार्विन (नाट्य पटकथा)।
आदरणीय श्री सदानंद चौधरी जी इनसे पहले महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र) में कार्यरत थे, अब पंजाब के एक विश्वविद्यालय में। वे गंभीर चिंतक हैं और पुस्तकालय विज्ञान में उनकी गहरी रुचि है। सादर आभार सर !
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हरित क्रांति के भारतीय जनक “एम एस स्वामीनाथन” के जन्मदिवस पर सादर नमन ! वहीं संस्कृत का बड़ा दुश्मन पुरोहित वर्ग है, वे इसे आजीविकोपार्जन भर मानते हैं, गोकि कितने पुरोहित हैं, जिनकी संतान संस्कृत में एम ए हैं?
संस्कृत का सबसे बड़ा दुश्मन पुरोहित वर्ग ही है, एक शूद्र (वाल्मीकि) ने तो संस्कृत में ‘रामायण’ लिखा, किन्तु एक ब्राह्मण (तुलसीदास गोस्वामी) ने लोकल भाषा में ‘रामचरित मानस’ लिखकर ‘संस्कृत’ भाषा का बंटाधार कर दिया । तुलसीदास ने संस्कृत भाषा को सर्वाधिक चोट पहुँचाए हैं ! संस्कृत में पत्नी का एक नाम ‘भार्या’ है, तो पति को भदेस भाषा में ‘भरुआ’ व ‘भरवा’ कहेंगे क्या?
पुनश्च, गुरुदेव ‘टैगोर’ और द्रविड़ नेता ‘करुणानिधि’ को पुण्यतिथि पर नमन !