9 अगस्त
जब 22 अप्रैल को ‘पृथ्वी दिवस’ है ही, तो 9 अगस्त को अतिरिक्त ‘बिहार पृथ्वी दिवस’ मनाने की क्या जरूरत ? वहीं अंग्रेजों ने भारत छोड़ दिया, आप ‘अंग्रेजी’ को कब छोड़ेंगे ? मिति 9 अगस्त ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन’ की तिथि है, यह दुनिया का पहला देशव्यापी आंदोलन था, जो नेतृत्वविहीन था । अंग्रेजों ने तो भारत छोड़ दिया, किन्तु ‘अंग्रेजी’ अब भी हावी है । ‘डॉक्टरी’ पूर्जा से लेकर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अब भी अंग्रेजी हावी है । आखिर, अंग्रेजी भारत से कब जाएगी ? कब हम अपनी ‘माँ’ को अपनाएंगे ? सन 1942 में गाँधी जी जैसे उदार और अहिंसावादी को भी कहना पड़ा- अँग्रेजों ! भारत छोड़ो !
वो दिन 9 अगस्त ही था, एकतरफ नेताजी सुभाषचंद्र बसु विदेशों में अपने संगठन ‘आज़ाद हिंद फौज’ के वीर सिपाहियों को ‘दिल्ली चलो’ कह प्रेरित कर रहे थे, तो वहीं पटना सचिवालय के उत्तुंग पर राष्ट्रध्वज फहराने को वीर बिहारी सपूत उद्विग्न थे।
सभी सेनानियों की याद एकसाथ। सादर नमन !
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दूसरी पुण्यतिथि पर अवर्ण-कवि मलखान सिंह को सादर श्रद्धांजलि !स्व. मलखान सिंह की चर्चित कविता ‘सुनो ब्राह्मण’ पढ़कर सुनाइये तो ज़रा-
“सुनो ब्राह्मण !
हमारे पसीने से
बू आती है, तुम्हें।
तुम, हमारे साथ आओ
चमड़ा पकाएंगे
दोनों मिल-बैठकर।
शाम को थककर
पसर जाओ धरती पर
सूँघो खुद को
बेटों को, बेटियों को
तभी जान पाओगे तुम
जीवन की गंध को
बलवती होती है जो
देह की गंध से !”