लघुकथा आजादी
भोले से मन से बहुत से सवाल आते हैं ,उस बच्चे ने भी बड़े प्यार पूछ लिया , “हमें किस किससे आज़ादी मिलीं है, और हम किसके गुलाम थे?”
“सोहन तुम्हें पता नही हम अंग्रेज़ो के ग़ुलाम थे।वो हम पर तरह तरह के जुल्म किया करते थे,।तकि हमारे मन में कोई बगावत की चिंगारी न पनप पाएं।वो अपने राज पर कोई खतरा नहीं चाहते थे” मास्टरजी ने समझाते हुए कहा,
“वो सब तो ठीक है पर अभी भी तो हम ग़ुलाम ही है भूख के ग़रीबी के, उससे आज़ादी कब मिलेंगी।बताओ ना उसका दिवस कब मनाया जाएगा?
मास्टर जी के कोई ज़बाब ही नहीं था