कविता

स्वतंत्रता दिवस

स्वतंत्रता दिवस की
महत्ता को पहचानिए,
इसे भी औपचारिक
दिवस मत बनाइए।
इसके पीछे के संघर्षों
बलिदानों का भी जरा
आँकलन करते रहिए।
जाने कितने लाल खोये
जाने कितनी माँगे उजड़ी,
जाने कितनी बहनों की राखियां
भाई की कलाई को तरसीं।
जाने कितने बच्चों ने
अपने माँ बाप खोये,
जाने कितने कँधो नें
औलादों के शव ढोये।
आजादी के दीवानों का
जाने क्या क्या हाल हुआ,
जाने कितने जाने अंजाने
इस दुनिया से चले गये,
कुछ का तो चल गया पता
कुछ गुमनामी में खेत गये।
कुछ को कफन मिला भी तो
कुछ बिना कफन के विदा हुए,
स्वतंत्रता की खातिर कितने
माँ भारती के लाल शहीद हुए।
स्वतंत्रता की लाज बचाना
शहीदों का सम्मान बचाना,
माँ भारती का शीष ऊँचा रखना
हम सबकी ही जिम्मेदारी है।
स्वतंत्रता की बलिबेदी पर
जिसने भी आहुति दे डाली,
स्वतंत्रता का मान बढा़ने की
अब जिम्मेदारी हम पर डाली।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921