सादर अभिनंदन
प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कर रहे एक जोशीले छात्र श्री शंकर कुमार यादव, जो कटिहार जिले से हैं- को दोनों पुस्तक 1. पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद (शोध); 2. लव इन डार्विन (नाट्य पटकथा) पठनीय और संग्रहणीय लगा है ! वे दोनों पुस्तक को एक अन्य मित्र श्री अनिकेत से प्राप्त किए हैं !
दोनों मित्र काफी प्रतिभाशाली हैं और नए-नए विषयों को लेकर ख़ासे उत्साहित रहते हैं । जब इस पुस्तक-द्वय की चर्चा चली, तो दोनों इसे प्राप्त करने के लिए लेखक की खोज जारी कर दिए और एक दिन अकस्मात लेखक को इसके प्रसंगश: आश्चर्यचकित कर गए ! श्री शंकर जी के इस ज़ज़्बे के प्रति हृदयश: अभिनंदन! सादर आभार। विज्ञान और तर्क की कसौटी पर धर्म अविश्वसनीय है, किन्तु श्रद्धा के मायने अलग हैं, क्योंकि कहावत है- ‘मानो तो देव, नहीं तो पत्थर’ !
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी यानी भगवान श्रीकृष्ण आज के मानचित्र के लिहाज़ से उत्तर प्रदेश से है। कुछ वर्ष पहले उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जनपद के एक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में काफी संख्याओं में इलाजरत बच्चों की अप्रत्याशित मौत उनके परिवार वालों से इतर हम सभी देशवासी भी मर्माहत हैं, इसे किसी राजनीतिक परिदृश्य में न रखकर हम सभी शोक-संतप्त परिवार के प्रति संवेदनशील हैं…. ऐसे में श्रीकृष्ण का जन्म, उनके शैशव और बालरूप भी लीलाओं के लिए जाने जाते हैं।
एतदर्थ, श्रीकृष्ण से सादर निवेदन करना चाहते हैं कि वह सर्वव्यापी होते हुए भी अपने जन्मस्थली-प्रांत में हुए इस मर्मान्तक घटनाओं पर रोक लगाते हुए मर्माहत परिवार में अपने बालरूप से इस कदर प्रविष्ट हों कि दुःख का श्रीअंत हो वहाँ बच्चों की किलकारियाँ गुंजायमान हो उठे । इस शब्द-निनाद के साथ श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की सादर शुभकामनायें !