दर्द
दर्द शरीर के किसी भी अंग में कई कारणों से हो सकता है। इसलिए सबसे पहले उसके कारण को पहचानने की कोशिश करनी चाहिए। प्राकृतिक चिकित्सा में सभी प्रकार के दर्दों का इलाज सफलतापूर्वक किसी अन्य शिकायत या कुप्रभाव के बिना किया जा सकता है। भूलकर भी इसके लिए दर्दनाशक गोलियों का सेवन नहीं करना चाहिए। दर्दनाशक गोलियाँ शरीर के लिए बहुत हानिकारक होती हैं। वे दर्द को दूर नहीं करतीं, केवल उसके अनुभव को कम कर देती हैं। दूसरे शब्दों में, वे हमारे शरीर की उन नाड़ियों को कमजोर कर देती हैं, जिनसे हमें दर्द का पता चलता है। वास्तव में दर्दनाशक दवाएँ एक प्रकार का नशा होती हैं, जो आगे चलकर बहुत हानि करती हैं, इसलिए कभी भी इनका सेवन नहीं करना चाहिए। इसके स्थान पर दर्द के मूल कारण को ही दूर करना उचित होगा।
साधारण थकान के कारण हाथ-पैरों में जो दर्द हो जाता है, वह उस स्थान पर सरसों के तेल से हल्की-हल्की मालिश करने पर तत्काल दूर हो जाता है। ऐसी मालिश किसी जानकार और हितैषी व्यक्ति से ही करानी चाहिए। यदि स्वयं मालिश कर सकें, तो बेहतर है। थकान में 5 मिनट का शवासन भी तत्काल आराम देता है।
यदि दर्द किसी चोट आदि के कारण हो रहा है, तो सबसे पहले यह देखना चाहिए कि चोट कैसी है। यदि चोट के कारण घाव हो गया है, तो पहले घाव का इलाज करना चाहिए और दर्द को झेल जाना चाहिए। घाव का इलाज आगे बताया गया है। यदि घाव नहीं है या भर गया है और फिर भी दर्द हो रहा है, तो चोट अन्दरूनी होती है। ऐसी चोट का इलाज है- उस स्थान पर गर्म-ठंडी सिकाई करना। इसकी विधि इस लेखमाला की 20वीं कड़ी में बताई जा चुकी है। चोट की तीव्रता के अनुसार उसकी चिकित्सा में कम या अधिक समय लग सकता है।
यदि दर्द किसी हड्डी या नस में किसी झटके या सूजन के कारण हो रहा हो, तो उस अंग का व्यायाम कर लेने से दर्द में बहुत आराम मिलता है। इसके साथ ही उस अंग पर गर्म-ठंडी सिकाई भी करनी चाहिए। विशेष तौर से कमर तथा रीढ़ की हड्डी और स्पोंडिलाटिस या सर्वाइकिल के दर्द का व्यायाम के अलावा कोई इलाज नहीं है। रीढ़ की विकृतियों को दूर करने के लिए कटिचक्रासन और भुजंगासन बहुत लाभदायक होते हैं। इसी प्रकार स्पोंडिलाइटिस और सर्वाइकिल के दर्दों के लिए ग्रीवा व्यायाम और कंधे के व्यायाम विशेष रूप से करने चाहिए। ये व्यायाम दिन में 4-5 बार करने की आवश्यकता हो सकती है। तभी पूर्ण आराम मिलता है। इन व्यायामों की चर्चा आगे की जाएगी।
सिरदर्द सबसे अधिक परेशान करने वाला दर्द होता है। आयुर्वेद के अनुसार सिरदर्द के 175 कारण हो सकते हैं, लेकिन सबसे बड़ा और प्रमुख कारण है पाचन शक्ति की गड़बड़ी। सिरदर्द प्रायः कब्ज अधिक पुराना पड़ जाने पर होता है और इस बात का परिचायक है कि आँतों में मल खतरनाक स्थिति तक सड़कर एकत्र हो चुका है, जिसे यदि तत्काल निकाला नहीं गया, तो वह अनेक रोगों का कारण बन सकता है, यहाँ तक कि जीवन को भी खतरा हो सकता है। इसलिए सिरदर्द का इलाज कब्ज के इलाज के साथ प्रारम्भ करना चाहिए। इसके साथ ही यदि दो-तीन दिन का उपवास या रसाहार कर लिया जाये, तो सिरदर्द से पूरी तरह मुक्ति मिलना सरल हो जाता है।
— डॉ विजय कुमार सिंघल