एक किताब सी मैं
एक किताब सी मैं और कहानी से तुम
मेरे जीवन में हो शादमानी से तुम
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जिंदगी में महकते रहे जो सदा
ख़्वाब आँखों के हो आसमानी से तुम
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प्यार हो तुम मेरा तुम हो चाहत मेरी
हो मुकम्मल मेरी जिंदगानी से तुम
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पास मेरे रहो न रहो तुम मगर
मुझको लगते हो रब्ते निहानी से तुम
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रात दिन देखती ही रहूँ मैं जिसे
मेरी उँगली में छल्ला निशानी से तुम
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तुमनें बख्शी मोहब्बत की दौलत मुझे
दिल को लगने लगे खानदानी से तुम
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