एवरेस्टीय सफलता
मॉरिशस में ‘विश्व हिंदी सम्मेलन’ !जब अपने देश में ही हिंदी की इज़्ज़त नहीं है और भारतीयों के अँग्रेजियापा बकर-पुराण इस कदर हावी है कि सुबह होते ही ‘सुप्रभात’ नहीं ‘Good Morning’ कह बैठते हैं, ऐसे में ‘मॉरिशस’ में हिंदी सम्मेलन मनाना पिकनिक और सैर-सपाटे के अलावा और कुछ नहीं कहा जायेगा।
यह सरकारी खजाने की बर्बादी नहीं, तो क्या है ? मेरे कई मित्र भी इस पुनीत पिकनिक में वहाँ श्रृंगार रस की कविता बांच रहे हैं !
झारखंड (प. सिंहभूम) के राष्ट्रीय स्तरीय चित्रकार श्री हरिश्चन्द्र महतो; जो पलक झपकते ही किसी के श्वेत-श्याम फ़ोटो को पेंसिल से A4 साईज़ पेपर पर उतार डालते हैं, तो किसी भी विहंगम दृश्य को कुछ ही मिनटों में कैनवास में उकेर डालते है !
वे इसके साथ ही शिक्षा स्नातक हैं, तो राष्ट्रीय स्तर के हिंदी निबंध प्रतियोगिताओं में अव्वल भी आए हैं ! वे थल, जल, वायु सहित कई पर्वतीय क्षेत्रों की यात्रा भी कर चुके हैं ! उन्हें भी पुस्तक 1. पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद (शोध), 2. लव इन डार्विन (नाट्य पटकथा) प्राप्त हो गई है। बहुत-बहुत आभार, हरिश्चन्द्र जी !
आप अपने ‘मिशन’ के चरमोत्कर्ष तक जाइये और चित्रकारिता के एवरेस्ट पर ‘राष्ट्रध्वज’ फहरा ही डालिये ! पुनश्च आभार और सादर धन्यवाद!