कलम जब भी उठे
कलम को हथियार बना लो
अपना गौरव सम्मान सँभालो
उठे कलम जिस भी क्षण में
एक नया इतिहास लिख डालो।
राष्ट्र धर्म और राष्ट्र प्रेम की
सीमा पर डटे जाँबाजों की
मान, सम्मान विकास की बात
घर के भीतर के गद्दारों की।
जाति धर्म में भेद कराते
भाई को भाई से जो लड़ाते
सौहार्द और भाईचारा में
जो भी जहर का बीज हैं बोते
उनके चेहरे को नंगा कर दो।
न्याय अन्याय की बात लिखो
गाँव गरीब का इतिहास लिखो
भ्रष्टाचार का जाल जो फैला
उसका पूरा संजाल लिखो।
देश, समाज राष्ट्र हित में जो हो
खुलकर सब सारी बात लिखो
कलमवीरों कलम उठाओ जब भी
एक एक नया इतिहास लिखो।
स्वार्थ सिद्ध का भाव न लाना
अपने कलम का सम्मान बचाना
नजर जहां न जाये किसी की
सच का सामना तुम करवाना ।
नहीं बेचना कलम का गौरव
न ही कलम को गिरवी रखना,
जब भी कलम उठाना वीरों
किला विजय करके ही आना।